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 एक पब्लिक एड्रेस सिस्टम किस प्रकार कार्य करता है।(How does a Public Address System Works):

पब्लिक एड्रेस सिस्टम का अर्थ है एक ऐसा सिस्टम जिससे Public (अर्थात् बहुत सारे लोगों को address (सम्बोधित) किया जा सके। स्टेज कार्यक्रमों में, Railway stations पर, जलसों इत्यादि में आपने पब्लिक एड्रैस सिस्टम्स अवश्य देखे होंगे। ध्वनि के मूल स्त्रोत को माइक्रोफोन द्वारा वैद्युत सिगनल में परिवर्तित किया जाता है। एक माइक्रोफोन एक प्रकार से ध्वनि सिगनल की वैद्युत image तैयार करता है जिसकी आवृत्ति, harmonic contents (हारमोनिक अंश) मूल साउन्ड के समान होती है तथा size वास्तविक साउन्ड के समान तीव्रता change करता है (आनुपातिक)। अब यह तैद्युत सिगनल एक प्रवर्धक को दिया जाता है जो कि इसको प्रवर्षित करता है तथा वैद्युत सिगनल की पॉवर इतनी कर देता है जिससे वह लाउडस्पीकर को ड्राइव कर सके। इसके बाद इस वैद्युत सिगनल को लाउडस्पीकर की voice coil को apply किया जाता है तथा इसमें मूल सिगनल के समान variations (परिवर्तन) उत्पन्न होते हैं। यह voice coil लाउडस्पीकर के cone को drive करती है जिससे वायु में उत्पन्न कम्पन मूल साउन्ड को पुनरोत्पादित कर देते हैं।

माइक्रोफोन (Microphone in hindi)

“माइक्रोफोन एक ट्रांसड्यूसर होता है जो कि ध्वनि दाब परिवर्तनों को समान आवृत्ति व कला की वैद्युत तरंगों में कनवर्ट कर देता है। इन वैद्युत तरंगों का आयाम ध्वनि दाब परिवर्तनों के समानुपाती होता है ।”

“माइक्रोफोन एक वैद्युत-ध्वनि ट्रांसड्यूसर (electro-acoustic transducer) है जो कि ध्वनि ऊर्जा को समानुपाती वैद्युत ऊर्जा में कनवर्ट करता है।”

“ध्वनि सूचना वायु दाब के पैटर्न में exist करती है, इस सूचना को वैद्युत धारा (या वोल्टेज) के पैटर्न में कनवर्ट करने वाली युक्ति माइक्रोफोन कहलाती है।”

 

 

माइक्रोफोन (Microphone) विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है। ये प्रकार उनके संचालन के सिद्धांतों, दिशा पैटर्न और उपयोग की परिस्थितियों के आधार पर वर्गीकृत किए जा सकते हैं। यहाँ माइक्रोफोनों के विभिन्न प्रकारों का हिंदी में विस्तृत वर्णन दिया गया है:

ट्रांसड्यूसर सिद्धांत के अनुसार माइक्रोफोन के प्रकार

1. डायनामिक माइक्रोफोन (Dynamic Microphone)

  • कैसे काम करता है: यह विद्युतचुंबकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction) का उपयोग करता है। ध्वनि तरंगें एक डायाफ्राम को हिलाती हैं जो एक कॉइल से जुड़ा होता है, और यह चुंबकीय क्षेत्र में घूमते हुए विद्युत संकेत उत्पन्न करता है।
  • विशेषताएँ: मजबूत, उच्च ध्वनि दबाव स्तर (SPL) को संभाल सकता है, बाहरी बिजली स्रोत की आवश्यकता नहीं होती।
  • उपयोग: लाइव साउंड, प्रसारण, सामान्य रिकॉर्डिंग।
  • उदाहरण: श्योर SM58, इलेक्ट्रो-वॉयस RE20।

2. कंडेंसर माइक्रोफोन (Condenser Microphone)

  • कैसे काम करता है: यह ध्वनिक ऊर्जा को विद्युत संकेत में बदलने के लिए एक संधारित्र का उपयोग करता है। इसे बाहरी बिजली स्रोत (फैंटम पावर या बैटरी) की आवश्यकता होती है।
  • विशेषताएँ: संवेदनशील, व्यापक आवृत्ति प्रतिक्रिया, विस्तृत ध्वनि पकड़ता है।
  • उपयोग: स्टूडियो रिकॉर्डिंग, वोकल्स, वाद्ययंत्र, और परिवेश ध्वनियाँ।
  • उदाहरण: न्युमैन U87, ऑडियो-टेक्निका AT2020।

3. रिबन माइक्रोफोन (Ribbon Microphone)

  • कैसे काम करता है: यह एक पतली धातु की रिबन का उपयोग करता है जो चुंबकीय क्षेत्र में निलंबित होती है। ध्वनि तरंगें रिबन को हिलाती हैं, जो एक वोल्टेज उत्पन्न करती है।
  • विशेषताएँ: गर्म और प्राकृतिक ध्वनि, द्वि-दिशात्मक पिकअप पैटर्न, नाजुक।
  • उपयोग: विंटेज रिकॉर्डिंग, वोकल्स, ध्वनिक वाद्ययंत्र।
  • उदाहरण: रॉयर R-121, AEA R84।

4. इलेक्ट्रेट माइक्रोफोन (Electret Microphone)

  • कैसे काम करता है: यह कंडेंसर माइक्रोफोनों का एक प्रकार है जिसमें स्थायी रूप से चार्ज किया हुआ पदार्थ होता है।
  • विशेषताएँ: कॉम्पैक्ट, किफायती, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में उपयोग होता है।
  • उपयोग: मोबाइल फोन, लैपटॉप, श्रवण यंत्र।
  • उदाहरण: सामान्यत: उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में पाए जाते हैं, पेशेवर ऑडियो में कम।

दिशा पैटर्न के अनुसार माइक्रोफोन के प्रकार

1. सर्वदिशात्मक माइक्रोफोन (Omnidirectional Microphone)
  • पिकअप पैटर्न: सभी दिशाओं से समान रूप से ध्वनि पकड़ता है।
  • उपयोग: फील्ड रिकॉर्डिंग, इंटरव्यू, लैवलियर माइक्रोफोन।
  • उदाहरण: सोनी ECM-77B, DPA 4060।
2. कार्डियोइड माइक्रोफोन (Cardioid Microphone)
  • पिकअप पैटर्न: दिल के आकार का पैटर्न जो मुख्य रूप से सामने से ध्वनि पकड़ता है और किनारों और पीछे की ध्वनि को कम करता है।
  • उपयोग: वोकल्स, लाइव साउंड, स्टूडियो रिकॉर्डिंग।
  • उदाहरण: श्योर SM58, ऑडियो-टेक्निका AT2020।
3. सुपरकार्डियोइड/हाइपरकार्डियोइड माइक्रोफोन (Supercardioid/Hypercardioid Microphone)
  • पिकअप पैटर्न: तंग फ्रंट पिकअप के साथ कुछ रियर संवेदनशीलता। सुपरकार्डियोइड की तुलना में हाइपरकार्डियोइड में कम रियर पिकअप होता है।
  • उपयोग: शोरगुल वाले वातावरण में ध्वनि को अलग करना, मंच उपयोग।
  • उदाहरण: सेनहाइजर e935, श्योर Beta 58A।
4. द्वि-दिशात्मक (फिगर-8) माइक्रोफोन (Bidirectional (Figure-8) Microphone)
  • पिकअप पैटर्न: सामने और पीछे से समान रूप से ध्वनि पकड़ता है लेकिन किनारों की ध्वनि को रोकता है।
  • उपयोग: स्टूडियो रिकॉर्डिंग, स्टीरियो रिकॉर्डिंग तकनीक।
  • उदाहरण: रॉयर R-121, AEA R44।
5. शॉटगन माइक्रोफोन (Shotgun Microphone)
  • पिकअप पैटर्न: अत्यधिक दिशात्मक, एक संकीर्ण फ्रंट फोकस के साथ, पृष्ठभूमि शोर को कम करते हुए दूर की ध्वनि पकड़ता है।
  • उपयोग: फिल्म और टेलीविजन उत्पादन, स्थान ध्वनि रिकॉर्डिंग।
  • उदाहरण: सेनहाइजर MKH 416, रोड NTG3।

आकार और उपयोग के अनुसार माइक्रोफोन के प्रकार

1. लैवलियर माइक्रोफोन (Lavalier Microphone)
  • विवरण: छोटे, क्लिप-ऑन माइक्रोफोन, जो अक्सर टेलीविजन, थिएटर, और सार्वजनिक भाषण में उपयोग होते हैं।
  • विशेषताएँ: सूक्ष्म, सर्वदिशात्मक या कार्डियोइड।
  • उदाहरण: सेनहाइजर ME 2, श्योर MVL।
2. हैंडहेल्ड माइक्रोफोन (Handheld Microphone)
  • विवरण: हाथ में पकड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया, अक्सर लाइव प्रदर्शन और इंटरव्यू के लिए उपयोग होता है।
  • विशेषताएँ: मजबूत, आमतौर पर कार्डियोइड या सर्वदिशात्मक।
  • उदाहरण: श्योर SM58, AKG D5।
3. हेडसेट माइक्रोफोन (Headset Microphone)
  • विवरण: सिर पर पहना जाता है, एक बूम के साथ जो मुँह की ओर होता है।
  • विशेषताएँ: हैंड्स-फ्री, प्रसारण, सार्वजनिक भाषण, गेमिंग में उपयोग होता है।
  • उदाहरण: श्योर SM35, ऑडियो-टेक्निका BPHS1।
4. बाउंडरी माइक्रोफोन (Boundary Microphone)
  • विवरण: एक समतल सतह पर रखा जाता है, सतह का उपयोग ध्वनि पकड़ने के लिए करता है।
  • विशेषताएँ: कम-प्रोफ़ाइल, विस्तृत पिकअप क्षेत्र।
  • उपयोग: सम्मेलन कक्ष, थिएटर।
  • उदाहरण: श्योर Beta 91A, ऑडियो-टेक्निका U851R।
5. यूएसबी माइक्रोफोन (USB Microphone)
  • विवरण: सीधे कंप्यूटर से यूएसबी के माध्यम से कनेक्ट होते हैं।
  • विशेषताएँ: उपयोग में आसान, पॉडकास्टिंग, स्ट्रीमिंग के लिए उपयुक्त।
  • उदाहरण: ब्लू येती, ऑडियो-टेक्निका AT2020 USB+।
6. कॉन्टेक्ट माइक्रोफोन (Contact Microphone)
  • विवरण: ठोस सतह से सीधे कंपन पकड़ता है।
  • उपयोग: वाद्ययंत्र रिकॉर्डिंग, ध्वनि प्रभाव।
  • उदाहरण: शर्टलर DYN-G, K&K साउंड हॉट स्पॉट।

विशेष माइक्रोफोन के प्रकार

1. पीज़ोइलेक्ट्रिक माइक्रोफोन (Piezoelectric Microphone)
  • कैसे काम करता है: पीज़ोइलेक्ट्रिक सामग्री का उपयोग कंपन को विद्युत संकेत में बदलने के लिए करता है।
  • उपयोग: वाद्ययंत्र पिकअप, जल के नीचे की रिकॉर्डिंग।
  • उदाहरण: बारकस-बेरी 4000, फिशमैन मैट्रिक्स इन्फिनिटी।
2. पैराबोलिक माइक्रोफोन (Parabolic Microphone)
  • कैसे काम करता है: ध्वनि को पकड़ने और एक माइक्रोफोन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक पैराबोलिक परावर्तक का उपयोग करता है।
  • उपयोग: खेल प्रसारण, प्रकृति रिकॉर्डिंग।
  • उदाहरण: टेलिंगा प्रो

माइक्रोफोन की मुख्य स्पेसीफिकेशन्स (Main Specifications of a Microphone in hindi):

किसी माइक्रोफोन को use करते समय उसकी मुख्य विशिष्टताओ का ज्ञान होना आवश्यक हैं। सामान्यतः, माइक्रोफोन का प्रयोग जगह-जगह पर भांति-भाँति के कायों हेतु किया जाता है, अतः, किस अनुप्रयोग के लिये, कौन सा माइक्रोफोन बेहतर रहेगा, इसका निर्णय आप तभी लेसकते है जब आपको प्रत्येक प्रकार के माइक्रोफोन की मुख्य विशिष्टताओं की जानकारी होगी। किसी माइक्रोफोन की क्वालिटी निम्न अभिलक्षणों द्वारा वर्णित की जा सकती है-

  1. संवेदनशीलता या सुग्राह्यता (Sensitivity )
  2. सिगनल तथा न्वाइस का अनुपात (Signal to Noise Ratio or SNR)
  3. आवृत्ति अनुक्रिया (Frequency Response)
  4. विरूपण (Distortion)
  5. दैशिकता (Directivity)
  6. आउटपुट प्रतिबाधा (Output Impedance)

सैन्सिटिविटी (Sensitivity) माइक्रोफोन की सैन्सिटिविटी (sensitivity या सुग्राह्यता) एक विशेष ध्वनि दाब (acoustic pressure) पर उसकी आउटपुट द्वारा ज्ञात की जाती है।

 

“माइक्रोफोन की सुग्राह्यता उसकी millivolts में (या dB below 1V में) प्राप्त आउटपुट होती है जबकि साउन्ड प्रैशर । माइक्रोबार (या 0.1 Pascal) हो तथा आवृत्ति 1 kHz हो।”

सिगनल तथा न्वाइस का अनुपात (Signal to Noise Ratio or SNR)

माइक्रोफोन के अंदर परिपथ के प्रतिरोध, ट्रांसफॉरमर इत्यादि के कारण कुछ Noise अपने आप उत्पन्न होती है जिसे self noise कहते हैं। इस noise को ध्वनि दाय स्तर (sound pressure level or SPL) के पदों में व्यक्त किया जाता है, जो कि noise output के समान output उत्पन्न करेगा।

अधिकतर निर्माता noise स्तर के बजाय SNR specify करते हैं जोकि 1 µ bar SPL पर उत्पन्न आउटपुट तथा बिना sound के उत्पन्न आउटपुट का अनुपात होता है जो कि dB में व्यक्त किया जाता है, अर्थात्

SNR=20 log / Output with SPL of 1 microbar / Output in the absence of sound

By GL india

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